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Sunday, August 5, 2012

श्री कृष्ण चरण दर्शन भाग १

                                    श्री कृष्ण चरण दर्शन भाग 1                   

     सभी पुरानो के पुराणशिरोमणि श्री मद भागवत महापुराण के त्रितीयस्कंध में भगवान् कपिल  माता देवहूति को ध्यान की विधी समझाते हैं की हमें नारायण भगवान् का ध्यान चरणों से आरम्भ करते हुवे मुखारविंद तक करना चाहिए1 
    सर्वप्रथम  हमभगवान् के चरणों का दर्शन करते हैं1. चरणों का दर्शन करते ही हे प्रभु हमें शंख चक्र गदा और पदम् का स्मरण हो आता है1 आपके चरण पुष्प से भी अधिक कोमल हैं मुझेवह कथा स्मरण आती है जिसमे एक बार ग्रहण काल में कुरुछेत्र में सभी यदुवंश ,वृश्निवंशी कुरु,मागध,पांचाल आदि अनेक देशों के लोग स्नान के लिए एकत्रित हुवे थे! इसी समय में श्री राधिका जी अपनी सभी सखियों सहित एवं सब गोप ग्वाल आदि भी कुरुछेत्र पधारे थे! भगवान् श्रीकृष्ण अपनी अष्ट पटरानियों  सहित पधारे थे माता रुक्मिणी जी श्री राधा रानी का दर्शन करने की इच्छा  से उनके शिविर में गयी और साथ में भेंट स्वरुप एक ग्लास गरम दूध का भी ले गयी! श्री राधा रानी ने बड़े भाव से आगे बढ़कर माँ रुक्मिणी जी का स्वागत किया! रुक्मिणी जी ने उन्हें भेंट के रूप में दूध पीने को कहा राधा रानी बोली की जब से गोविन्द ब्रज छोड़ कर गए उन्होंने दूध पीना   ही छोड़ दिया है किन्तु जब रुक्मिणी जी ने यह कहा की यह दूध तो श्री गोविन्द की ही  प्रसादी है इतना सुनना था की राधा रानी एक सांस में ही सारा गर्म दूध पी गयी! 
     रात्रि में रुक्मिणी जी जब भगवान् के श्री चरण दबा रही थी तो भगवान् कराहनेlलगे माता ने देखा की भगवान् के चरणों में छाले पड़े थे!उन्होंने श्री गोविन्दसे इनका कारण पूछा तो वे कोई उत्तर न दे पाए किन्तु गोविन्द ने भी माता से उनके दिन के विषय में पूछा माता ने राधा रानी से भेंट की सब बातें विस्तारपूर्वक कही !कृष्ण बोले तुमने गरम दूध राधा को पिलाया!मैं उनकेहृदय में निवास करता हूँ!गरम दूध से राधा के ह्रदय में पीड़ा होने से ही मेरे पैरों मेंछाले पड़े हैं!माता रुक्मिणी तुरंतही राधा रानी से माफ़ी मांगने भागी !      

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